प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव अपनी आत्मकथा ‘बूंद-बावड़ी’ मे लिखती हैं- “औरत को आखिर किससे प्रसिद्ध लेखिका पद्मा सचदेव अपनी आत्मकथा ‘बूंद-बावड़ी’ मे लिखती हैं- “औरत को आखि...
दूसरी बात बहु बेटा चाह कर भी समय नहीं निकाल पा रहे हैं। दूसरी बात बहु बेटा चाह कर भी समय नहीं निकाल पा रहे हैं।
यह सम्मान मुझे मेरे स्वाभिमानी, ईमानदार तथा आत्मनिर्भर होने पर दिया जा रहा है या मेरे कोख जनों की कर... यह सम्मान मुझे मेरे स्वाभिमानी, ईमानदार तथा आत्मनिर्भर होने पर दिया जा रहा है या...
हम सभी को इस आधार पर आंकते हैं कि वे क्या पहनते हैं, कैसे दिखते हैं हम सभी को इस आधार पर आंकते हैं कि वे क्या पहनते हैं, कैसे दिखते हैं
बबुआ न! हमें न चाहिए मान सम्मान। बस तू नज़र के सामने रहे बबुआ न! हमें न चाहिए मान सम्मान। बस तू नज़र के सामने रहे
इनका खिलखिलाकर हँसना मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है. इनका खिलखिलाकर हँसना मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुंचाने के समान है.